अब पोर्ट ब्लेयर श्री विजयपुरम के नाम से जाना जाएगा। गुलामी के प्रतीकों से मुक्ति की दिशा में एक और कदम
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के संकल्प से प्रेरित होकर देश को गुलामी के सभी प्रतीकों से मुक्त करने के प्रयास जारी हैं। इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए गृह मंत्रालय ने पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर ‘श्री विजयपुरम’ करने का निर्णय लिया है। अब पोर्ट ब्लेयर श्री विजयपुरम के नाम से जाना जाएगा। जो हमारे स्वाधीनता संग्राम और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के महत्वपूर्ण योगदान को सम्मानित करता है।
श्री विजयपुरम का ऐतिहासिक महत्व
अंडमान-निकोबार द्वीप समूह का यह हिस्सा भारतीय स्वाधीनता संग्राम में एक विशेष स्थान रखता है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने यहीं पर सबसे पहले तिरंगा फहराया था, जिससे यह द्वीप देश के लिए गौरव का प्रतीक बना। अब पोर्ट ब्लेयर ‘श्री विजयपुरम’ के नाम से जाना जाएगा, जिससे इस ऐतिहासिक स्थान को एक नई पहचान मिलेगी जो इसके अद्वितीय योगदान और वीर स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को स्मरण कराता रहेगा।
देश को गुलामी के सभी प्रतीकों से मुक्ति दिलाने के प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी के संकल्प से प्रेरित होकर आज गृह मंत्रालय ने पोर्ट ब्लेयर का नाम ‘श्री विजयपुरम’ करने का निर्णय लिया है।
‘श्री विजयपुरम’ नाम हमारे स्वाधीनता के संघर्ष और इसमें अंडमान और निकोबार के योगदान को…
— Amit Shah (@AmitShah) September 13, 2024
चोल साम्राज्य से लेकर आधुनिक भारत तक
‘श्री विजयपुरम’ का संबंध न केवल स्वतंत्रता संग्राम से है, बल्कि यह द्वीप प्राचीन काल से भी महत्वपूर्ण रहा है। चोल साम्राज्य के दौरान इसे नौसेना अड्डे के रूप में इस्तेमाल किया जाता था, जिससे इसकी सामरिक और रणनीतिक भूमिका भी महत्वपूर्ण बन जाती है। आज यह द्वीप देश की सुरक्षा और विकास में एक अहम भूमिका निभा रहा है, और अब पोर्ट ब्लेयर ‘श्री विजयपुरम’ के नाम से जाना जाएगा, जिससे इसका ऐतिहासिक और सामरिक महत्व और भी गहरा हो जाएगा।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस और स्वतंत्रता सेनानियों का बलिदान
‘श्री विजयपुरम’ वह भूमि है जहां नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने भारत की स्वतंत्रता का पहला प्रतीक, तिरंगा फहराया था। इसके साथ ही, इस द्वीप पर स्थित सेलुलर जेल स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष और बलिदान की अमर गाथा को संजोए हुए है। वीर सावरकर और अन्य अनगिनत स्वतंत्रता सेनानी यहाँ कैद किए गए थे, जिन्होंने माँ भारती की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। अब पोर्ट ब्लेयर ‘श्री विजयपुरम’ के नाम से जाना जाएगा, जो इस बलिदान और स्वतंत्रता संग्राम की अमर कहानी को जीवित रखेगा।
गुलामी के प्रतीकों से मुक्ति: प्रधानमंत्री मोदी का संकल्प
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने हमेशा देश को गुलामी के प्रतीकों से मुक्त करने पर बल दिया है। चाहे वह ब्रिटिश काल के कानूनों में सुधार हो या ऐतिहासिक स्थानों के नाम बदलकर उन्हें स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ना हो, सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। अब पोर्ट ब्लेयर ‘श्री विजयपुरम’ के नाम से जाना जाएगा, जो इसी दिशा में एक और बड़ा कदम है। यह केवल नाम परिवर्तन नहीं है, बल्कि यह भारत के गौरवशाली इतिहास और स्वतंत्रता के संघर्ष को एक नया आयाम देता है।
भविष्य की दिशा में एक सशक्त कदम
‘श्री विजयपुरम’ न केवल अतीत का सम्मान करता है, बल्कि यह भविष्य के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनेगा। भारत की सुरक्षा, विकास, और स्वतंत्रता की भावना को यह नाम सशक्त करेगा। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह आज भी देश की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, और अब पोर्ट ब्लेयर ‘श्री विजयपुरम’ के नाम से जाना जाएगा, जिससे यह द्वीप सुरक्षा और विकास के नए आयामों को छूने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
अब पोर्ट ब्लेयर ‘श्री विजयपुरम’ के नाम से जाना जाएगा। यह नाम न केवल अंडमान-निकोबार के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान को दर्शाता है, बल्कि प्रधानमंत्री मोदी जी के संकल्प को भी उजागर करता है कि देश को गुलामी के सभी प्रतीकों से मुक्ति दिलाई जाए। यह निर्णय हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति सम्मान और देश की समृद्धि की दिशा में एक सशक्त कदम है।